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Science

Quote from Nasim Akhtar on Thu, May 20, 2021, 10:06 pm21- अवतल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन दबे हुए भाग से होता है |
22- उत्तल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन उभरे हुए तल से होता है |
23- अवतल दर्पण की फोकस दुरी ऋणात्मक होती है |
24- उत्तल दर्पण की फोकस दुरी धनात्मक होती है |
25- गोलीय दर्पण की फोकस दुरी दर्पण के वक्रता त्रिज्या की आधी होती है |
26- अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) जब वस्तु अनंत पर होगी तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बहुत छोटा बनेगा |
ii) जब वस्तु अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीच स्थित हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच वास्तविक उल्टा तथा वस्तु से छोटा बनेगा |
iii) जब वस्तु दर्पण के वक्रता केंद्र पर स्थित होगी तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु के बराबर बनेगा |
iv) जब वस्तु वक्रता केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित होगी , तब प्रतिबिम्ब अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीच वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बड़ा बनेगा |
v) जब वस्तु दर्पण के मुख्य फोकस पर रखा हो , तब प्रतिबिम्ब अनंत पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा |
vi) जब वस्तु दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित हो , तब प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे आभासी , सीधा तथा वस्तु से छोटा बनेगा |27)- उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) वस्तु की प्रत्येक स्थिति के लिए उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी , सीधा तथा वस्तु से छोटा होता है |28- गोलीय दर्पण के बायीं ओर की तथा मुख्य अक्ष से उपर की दूरियां ऋणात्मक होती हैं |
29- गोलीय दर्पण के दायीं ओर की तथा मुख्य अक्ष से नीचे की दूरियां धनात्मक होती हैं |
30- दर्पण की फोकस दुरी , दर्पण से वस्तु की दुरी तथा दर्पण से प्रतिबिम्ब की दुरी के बीच सम्बन्ध –
31- प्रतिबिम्ब की लम्बाई(I) तथा वस्तु की लम्बाई(O) के अनुपात को प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन(m) कहते हैं |
अथवा
प्रतिबिम्ब की दर्पण से दुरी तथा वस्तु की दर्पण से दुरी के अनुपात को प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन कहते हैं |अत:
नोट :- आवर्धन का कोई मात्रक नहीं होता |
32- दाढ़ी बनाने , आँख – कान – नाक – मुह इत्यादि की जाँच करने , टेबिल लैम्प में , गाडियों के मुख्य लाइट में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है |
33- सड़को पर लगे हुए लैम्पों में , गाडियों में ड्राईवर की सीट की बगल में उत्तल दर्पण का उपयोग किया जाता है |
34- उन दो बिन्दुओं को जिनमे किसी एक बिंदु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दुसरे बिंदु पर बने , संयुग्मी फोकस कहलाते हैं |
35- संयुग्मी फोकस केवल उत्तल दर्पण में ही संभव है , अवतल दर्पण में नहीं |
21- अवतल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन दबे हुए भाग से होता है |
22- उत्तल दर्पण से प्रकाश का परावर्तन उभरे हुए तल से होता है |
23- अवतल दर्पण की फोकस दुरी ऋणात्मक होती है |
24- उत्तल दर्पण की फोकस दुरी धनात्मक होती है |
25- गोलीय दर्पण की फोकस दुरी दर्पण के वक्रता त्रिज्या की आधी होती है |
26- अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) जब वस्तु अनंत पर होगी तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बहुत छोटा बनेगा |
ii) जब वस्तु अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीच स्थित हो तब प्रतिबिम्ब दर्पण के मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच वास्तविक उल्टा तथा वस्तु से छोटा बनेगा |
iii) जब वस्तु दर्पण के वक्रता केंद्र पर स्थित होगी तब प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु के बराबर बनेगा |
iv) जब वस्तु वक्रता केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित होगी , तब प्रतिबिम्ब अनंत तथा वक्रता केंद्र के बीच वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बड़ा बनेगा |
v) जब वस्तु दर्पण के मुख्य फोकस पर रखा हो , तब प्रतिबिम्ब अनंत पर वास्तविक , उल्टा तथा वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा |
vi) जब वस्तु दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच स्थित हो , तब प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे आभासी , सीधा तथा वस्तु से छोटा बनेगा |
27)- उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
i) वस्तु की प्रत्येक स्थिति के लिए उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी , सीधा तथा वस्तु से छोटा होता है |
28- गोलीय दर्पण के बायीं ओर की तथा मुख्य अक्ष से उपर की दूरियां ऋणात्मक होती हैं |
29- गोलीय दर्पण के दायीं ओर की तथा मुख्य अक्ष से नीचे की दूरियां धनात्मक होती हैं |
30- दर्पण की फोकस दुरी , दर्पण से वस्तु की दुरी तथा दर्पण से प्रतिबिम्ब की दुरी के बीच सम्बन्ध –
31- प्रतिबिम्ब की लम्बाई(I) तथा वस्तु की लम्बाई(O) के अनुपात को प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन(m) कहते हैं |
अथवा
प्रतिबिम्ब की दर्पण से दुरी तथा वस्तु की दर्पण से दुरी के अनुपात को प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन कहते हैं |
अत:
नोट :- आवर्धन का कोई मात्रक नहीं होता |
32- दाढ़ी बनाने , आँख – कान – नाक – मुह इत्यादि की जाँच करने , टेबिल लैम्प में , गाडियों के मुख्य लाइट में अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है |
33- सड़को पर लगे हुए लैम्पों में , गाडियों में ड्राईवर की सीट की बगल में उत्तल दर्पण का उपयोग किया जाता है |
34- उन दो बिन्दुओं को जिनमे किसी एक बिंदु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दुसरे बिंदु पर बने , संयुग्मी फोकस कहलाते हैं |
35- संयुग्मी फोकस केवल उत्तल दर्पण में ही संभव है , अवतल दर्पण में नहीं |